
झारखंड के मोराबादी, रांची स्थित ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट में आदिवासी कल्याण विभाग के सहयोग से वर्ल्डबीइंग इंडिया फाउंडेशन द्वारा आरोहण कार्यक्रम के प्रसार कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में झारखंड के विभिन्न आश्रम आवासीय विद्यालयों के शिक्षक और छात्र भागीदार थे, जिन्होंने मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण पर आधारित कार्यक्रम की सफलता और उसके परिणामों को साझा किया।
वर्ल्डबीइंग इंडिया फाउंडेशन की कंट्री डायरेक्टर श्रीमती नंदिता भाटला ने कार्यशाला की शुरुआत करते हुए कहा कि किशोरावस्था में मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस समय में शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक परिवर्तन होते हैं। यह समय बच्चों के जीवन में एक निर्णायक दौर होता है, और इस दौरान उन्हें विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। उन्होंने फाउंडेशन के आगामी योजनाओं और झारखंड में आरोहण कार्यक्रम के क्रियान्वयन पर भी प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, श्री. चमरा लिंडा, झारखंड सरकार के मंत्री, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग, ने अपने संबोधन में कहा कि इस पहल से आदिवासी बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि आदिवासी बच्चे बचपन से ही संघर्ष करते हैं और उनका भावनात्मक कल्याण उनके समग्र विकास के लिए आवश्यक है। उन्होंने इस कार्यक्रम की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि शिक्षा और सामाजिक कौशल के साथ-साथ बच्चों की मानसिक और भावनात्मक स्थिति में सुधार लाने के प्रयासों की आवश्यकता है।
आदिवासी कल्याण आयुक्त, श्री अजय नाथ झा ने भी बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर अपने विचार साझा किए। उन्होंने हाल के वर्षों में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को बच्चों और युवाओं के लिए एक चुनौती के रूप में उभरते देखा है। उन्होंने झारखंड के सभी सरकारी आवासीय विद्यालयों में आरोहण कार्यक्रम को लागू करने के लिए प्रतिबद्धता जताई और इसे राज्य के बच्चों के समग्र विकास के लिए अत्यंत लाभकारी बताया।
वर्ल्डबीइंग इंडिया फाउंडेशन के कार्यक्रम प्रबंधक श्रीमती. सुनीता राज मुण्डा और राज्य कार्यक्रम प्रबंधक श्री. हरी शंकर सिंह ने कार्यशाला में किये गए शोध और परिणामों को साझा किया। उन्होंने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण कार्यक्रम से बच्चों और उनके अध्यापकों में सकारात्मक बदलाव हुए हैं, जो विद्यालयों के वातावरण और बच्चों के व्यक्तिगत जीवन में स्पष्ट रूप से देखे जा रहे हैं।
वर्ल्डबीइंग इंडिया फाउंडेशन के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, श्री स्टीव लेवेन्थल ने मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण के महत्व को वैश्विक दृष्टिकोण से देखा और सरकार के साथ साझेदारी में इस दिशा में किये जा रहे प्रयासों को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम बच्चों के समग्र विकास और उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद करता है।
कार्यशाला में विभिन्न आश्रम आवासीय विद्यालयों से आये बच्चों और शिक्षकों ने भी अपने अनुभव साझा किए। बच्चों ने बताया कि कार्यक्रम से उन्हें अपनी भावनाओं को समझने और नियंत्रित करने में मदद मिली है, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा है। शिक्षकों ने भी विद्यालयों में बच्चों के मानसिक और भावनात्मक स्थिति में बदलावों को महसूस किया और इसे सकारात्मक कदम के रूप में देखा।
इस कार्यक्रम के समापन पर वर्ल्डबीइंग इंडिया फाउंडेशन के श्री बिनोद कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में सभी ने मिलकर आदिवासी बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन की आवश्यकता और महत्ता को स्वीकार किया। इस कार्यक्रम ने न केवल आदिवासी बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास पर ध्यान केंद्रित किया, बल्कि यह सुनिश्चित किया कि आने वाले समय में उनकी शिक्षा और समाज में स्थिरता और समृद्धि की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं।
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