03 Sep, 2019
मुहर्रम इंतेतामियां कमिटी ने कराया जलसा
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मेदिनीनगर : ये जमाना मेरे हुसैन का है, हर जमाना मेरे हुसैन का। जिसके साये में कायनात बनी, ऐसे नाना मेरे हुसैन का। जलसा कार्यक्रम मंे शहीद-ए-कर्बला के याद में पेश की गई। स्थानीय छोटी मस्जिद स्थित मुहर्रम इंतेजामियां कमिटी के कार्यालय में देर रात जलसा का आयोजन किया गया। जलसा में शहर के नामचिन्ह ओलेमा-ए-कराम, हाफिज-ए-कुरान व मौलानाओं ने शिरकत दी। कार्यक्रम में पगड़ीपोशी कर सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुहर्रम इंतेजामिया कमिटी के जेनरल खलीफा मुस्तफा कमाल ने की व संचालन हाजी शमीम रिजवी ने किया। जन्नत जमीन पर देखना हो तो कर्बला चले जाओ, जमीन-ए-कर्बला को खुद को तस्वीर कहते है छोटी मस्जिद के इमाम मौलाना जुबैर अख्तर ने जलसा में शायर पेश की। उन्होंने शहीद-ए-कर्बला की याद करते हुए कहा कि दुनिया में कई अम्बीया-ए-कराम शहीद हुए है, किसी की शहादत याद नहीं रखा गया, लेकिन इमाम-ए-हुसैन की शहादत को याद रखा गया। उन्होंने कहा कि कई लोगों ने दुनिया में आकर इस्लाम फैलाने का काम किये लेकिन किसी को याद नहीं रखा गया लेकिन हुसैन (र.अ) को पूरे दुनिया याद रखा। उन्होंने कहा कि हुसैन के याद में मुहर्रम को मनाया जाता है। जनाब अख्तर ने कहा कि मुहर्रम आते ही बुढे, बच्चे व नवजवानों के जुबां पर या हुसैन का लफ्ज आ जाता है। उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन ने कर्बल में इस्लाम को बचाया है। जलसा में मदीना मस्जिद के इमाम सैयद शाह रजी अहमद, हाफीज रमजान, हाफीज मो. रमजान, हाफीज अमजद और अदनान काशिफ ने शहीद-ए-कर्बला का वाक्या सुनाया। वहीं जलसा कार्यक्रम में दिन अस्त हुसैन बनाम सजदा-ए-इमाम हुसैन, जद्दा-ए-अस्सलाम नाम का किताब को मिर्जा खलील बेग के जानीब से जारी किया।

मौके पर अंजुम खान, नूर मोहम्मद तुल्लू, चांद अकमल, शमशाद राईन, शाबीर अली, शमीम अहमद राईन, सहाब खान, नसीम खान, हाजी मुस्ताक शाह, कमरूद्दीन अंसारी, अलाउद्दीन राईन, शहबान राईन, नेहाल खान, मोबीन अख्तर, बब्लू राईन, जैद खान, ऐहतेसाम अंसारी, सन्नू सिद्दीकी, पिंटू राईन, हिकमतयार अली, राशिद बक्शी, नन्हे जेयाई, अफसर रब्बानी, ताबीश खान, इरशाद अहमद समेत कई लोग उपस्थित थे।



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