
लातेहार जिला के मनिका प्रखण्ड में प्राथमिक विद्यालय जमुना में जहाँ 120 बच्चे अध्ययनरत हैं वहाँ एकमात्र शिक्षक नियुक्त हैं जो 11.00 बजे आते हैं और 1.00 बजे वापस चले जाते हैं l इससे स्कूली बच्चों की शैक्षणिक गतिविधियाँ बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं l यह समस्या अकेले जमुना की नहीं बल्कि मनिका प्रखण्ड के 100 प्राथमिक विद्यालयों (कक्षा 1 – 5) में से 44 विद्यालयों की है। सिर्फ इतना ही नहीं प्रखण्ड के 45 उच्च प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं जिनमे से 3 विद्यालय एकल शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं l बच्चों के भविष्य से सरकारी अन्याय के खिलाफ आज मनिका हाई स्कूल से मुख्य सड़क होते हुए प्रखण्ड कार्यालय तक विभिन्न गांवों से प्रभावित बच्चे, उनके अभिभावक और ग्राम स्वराज से जुड़े संगठन के लोगों ने ग्राम स्वराज मजदूर संघ के बैनर तले आक्रोश रैली निकाली, जो प्रखण्ड कार्यालय पहुँच कर आम सभा में तब्दील हो गई l रैली में शामिल लोग और बच्चे हाथों में तख्तियाँ लिए हुए अपनी बात कह रहे थे, तख्तियों में लिखा था, क्या चाहता है लातेहार, शिक्षा का अधिकार l राष्ट्रपति का बेटा हो या गुलगुलिया की संतान, सबको शिक्षा एक समान, सबको शिक्षा एक समान l बाल बुतरू की एक ही पुकार, शिक्षा का हो मूल अधिकारl बोझिल शिक्षा खारिज करोकाबिल शिक्षा हाजिर करो आदि lप्रसिद्ध अर्थशास्त्री सह सामाजिक कार्यकर्त्ता ज्याँ द्रेज ने सभा को संबोधित करते हुए कहा शिक्षा का अधिकार बच्चों का मौलिक अधिकार है और इसको हर हालत में पूरा करना जरूरी है l उन्होंने यह भी कहा की यह बच्चों के साथ बहुत बड़ी नाइंसाफी है कि उन्हे ऐसे स्कूलों में पढ़ाया जा रहा है जहां टीचर न हों, उन्होंने बताया की हर तीस बच्चों पर एक टीचर होना चाहिए और हर स्कूल में कम से कम 2 शिक्षक होने चाहिए हम कई ऐसे बच्चों से मिले जो पाँचवी कक्षा में हैं लेकिन नहीं पढ़ पा रहे हैं, जिसका मतलब यह नहीं है कि बच्चा बेवकूफ है, लेकिन इसका मतलब यह है की सरकार बच्चों को पढ़ा नहीं रही है l
- सामाजिक कार्यकर्त्ता जेम्स हेरेंज ने कहा बच्चों को शिक्षा से वंचित करना एक हिसाब से देश को कमजोर करना है l क्योंकि आज के बच्चे ही कल के भविष्य हैं l ये परिस्थिति अकेले मनिका की नहीं है बल्कि पूरे राज्य की है l झारखण्ड में 2016-17 के बाद से कोई शिक्षक नियुक्ति नहीं हुई है l क़ानूनी प्रावधान के हिसाब 44 विद्ययालों में 106 टीचर होने चाहिए लेकिन केवल 44 हैं, इन स्कूलों को 62 टीचर और चाहिए ज़िला शिक्षा पदाधिकारी (कविता खलखो) सारी परेशानियाँ जान कर भी कहती हैं की ‘मैनेज’ कीजिए इसका मतलब ये हुआ कि संविधान में राज्य को जो निर्देश दिए गया हैं उन संविधानिक जवाबदेही को सरकार पूरा करने में विफल हुई है l आदिवासी और दलित बच्चों को शिक्षा से वंचित करना एक साजिश का हिस्सा भी है l क्योंकि शिक्षा से नौजवान सवाल पूछना प्रारंभ करते हैं और यह सरकारों के लिए जवाब देना मुश्किल होता है l
सभा को ग्रामीण मनोज सिंह, संतोष सिंह, बीना देवी, सकलदीप सिंह, छात्रा पायल कुमारी, यमुना देवी तथा ग्राम स्वराज मजदूर संघ की तरफ से श्यामा सिंह, नेमी देवी, परान, अपूर्व जुगेश्वर सिंह, लालबिहारी सिंह, दिलीप रजक, महावीर परहिया, आदि ने संबोधित कियाl पटना के लोकगायक मनोज सिंह ने जागरूकता गीत पेश किया l कार्यक्रम के अंत में अभिभावकों द्वारा हस्ताक्षरित माँगों के समर्थन में झारखण्ड के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा गया है, जिसे सभा में श्यामा सिंह ने पढ़ा l सभा का संचालन प्रेमा तिग्गा ने किया l
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