
मोटर वाहन दुर्घटना क्लेम केस को लेकर रविवार को एक कार्यशाला का आयोजन पलामू के प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश नीरज कुमार श्रीवास्तव के दिशा निर्देश पर किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन पलामू के प्रथम जिला व अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संतोष कुमार, डालसा के सचिव अर्पित श्रीवास्तव व अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सुरजीत कुमार ने संयुक्त रूप से द्वीप प्रज्वलित कर किया। इस मौके जिला व अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रथम संतोष कुमार ने पुलिस अधिकारियों बताया कि कानून की पूरी जानकारी के अभाव में लोगों को क्लेम नहीं दिला पाते हैं। उन्होंने कहा कि क्लेम के मामले में सबसे बड़ा रोल पुलिस अधिकारी का होता है। पुलिस अधिकारी को ऐसे मामले में क्लेमेंट प्रति अच्छा बर्ताव करना चाहिए ।और उन्हें उचित मुआवजा मिले इसके लिए कानून के पूरे प्रावधान का पालन करना चाहिए ।उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को जानकारी देते हुए कहा कि वाहन दुर्घटना पीड़ितों को उचित मुआवजा दिलाने के उद्देश्य झारखंड परिवहन विभाग ने वाहन दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण नियमावली 2019 लागू किया है। उन्होंने पुलिस के कर्तव्य के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी।दुर्घटना के दौरान इन्वेस्टिगेशन ऑफ पुलिस ऑफिसर के ड्यूटी के बारे में विस्तार से चर्चा की ।उन्होंने कहा कि क्लेमेंट को छह माह के अंदर ही क्लेम केस करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि कोई पुलिस अधिकारी वाहन से संबंधित कागजात की मांग करता है तो उसे यूनिफॉर्म में होना जरूरी है। साथ ही उसे ड्यूटी में होना आवश्यक है ।ड्यूटी के दौरान पुलिस अधिकारी ड्राइवर लाइसेंस, इंसुरेंस आदि को देख सकता है। उन्होंने कहा कि दुर्घटना की सूचना मिलते ही पुलिस का कर्तब्य बनता है कि घटना के रिपोर्ट लिखे।उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारी कोई घटना के बाद जिस प्रकार से एफ आई आर करते हैं।व 24 घण्टे के अंदर मजिस्ट्रेट के यहाँ भेज देते हैं।ठीक उसी प्रकार मोटर दुर्घटना के मामले में फस्ट एक्सीडेंट रिपोर्ट भी लिख कर 48 घण्टा के अंदर सम्बन्धित थाने के टीयूबनल में भेजना कानूनन जरूरी है। उसके बाद आई ए आर यानी इंट्रीम एक्सीडेंट रिपोर्ट भेजना है।व 16 दिन के अंदर दुर्घटना के मामले में जाँच कर देना है। वही दुर्घटना के 90 दिन के अंदर डी ए आर यानी डिटेल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट दाखिल करना जरूरी है।उन्होंने कहा कि इंजुरी व मौत दोनो केस में मुवावजा का प्रावधान है।उन्होंने कहा कि एक्सीडेंट में जहाँ मौत होने पर सेक्सन 140 में 50 हजार रुपये देने का प्रावधान था।वही अब 164 में पांच लाख रुपए तक मिनिमम कम्पनशेषन देने का नया रूल्स में प्रावधान किया गया है। उन्होंने सरला वर्मा,किलोत्मा देवी रेशमा कुमारी ,प्रणय सेठी केस के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी।वही गौहर मोहम्मद बनाम स्टेट ऑफ उत्तरप्रदेश 2021 में पारित आदेश की भी चर्चा किया।इस मौके पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव अर्पित श्रीवास्तव ने कहा कि सभी थाना वाइज वेहिकल एक्सीडेंट क्लेम्स ट्रिब्यूनल बन गया है।इसके तहत प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश के यहाँ डालटनगंज शहर,सदर,मनातू,लेस्लीगंज व रामगढ़ थाना से जुड़े मामले की सुनवाई होगी।इसी तरह जिला व अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रथम के यहाँ मोहम्मद गंज,पांकी, रेहला,सतबरवा व तरहसी, जिला व अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश द्वितीय के यहाँ हरिहरगंज, नावा बाजार,बिश्रामपुर, उंटारी रोड व पीपरा, जिला व अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पंचम के यहां हुसैनाबाद, छतरपुर, पंडवा नवडीहा बाजार व,पिपराटांड़ व जिला व अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के छह के न्यायालय में पाटन,चैनपुर, हैदरनगर, पांडू, व नावाजयपुर थाना अंतर्गत हुए एक्सीडेंट के मामले का बिचारन होगा।उन्होंने डालसा से मिलने वाले सुबिधा के बारे में भी बिस्तार से चर्चा की। मौके पर पुलिस उपाधीक्षक सुजीत कुमार ने कहा कि आज का वर्कशॉप प्रशिक्षणार्थियों के लिए काफी उपयोगी सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि वर्क शॉप में बहुत कुछ लोगों को एम ए सी टी से जुड़े मामले में सीखने और समझने का अवसर मिला।उन्होंने कहा कि उम्मीद करते हैं कि जो भी प्रशिक्षण पाए हैं ये लोग कानून सम्मत काम कर लोगों को मदद करने में उपयोगी होंगे।जिले के विभिन्न थाने से आए पुलिस अधिकारी, एल ए डी सी के डिप्टी चीफ संतोष कुमार पांडेय,इन्सुरेंस कम्पनी के अधिवक्ता युदिष्ठिर गिरी, ,अधिवक्ता राहुल सत्यार्थी, राजीव रंजन, संजय कुमार सिन्हा, मो नसीमुद्दीन खान,रामेश्वर सिंह, धीरेंद्र साव, कमलेश तिवारी संजय कुमार,समेत दर्जनों लोग उपस्थित थे।
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