
अगर आप किसी राजनीतिक पार्टी की रैली में शामिल होने जा रहे हैं तो आप निश्चिंत हो कर जाइए ,परेशानी की कोई बात नहीं है। चिंता मत कीजिए थोड़े देर रैली में सामिल हो जाने से आपको कोरोना नहीं होगा। माना हज़ारों लोग होते है रैलियों में पर कोरोना की इतनी हिम्मत जो उन रैलियों में आए लोगों का बाल बांका कर सके। कोरोना को भी अपनी हद पता है जनाब। अभी हाल ही में बंगाल बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष के द्वारा आयोजित रैली में दिलीप घोष ने ये साफ साफ कहा कि कोरोना अब ख़त्म हो गया है और ममता बैनर्जी ने अभी भी बंगाल में लॉकडाउन लगाया है। 9 सितंबर के अपने भाषण में इन्होंने ये साफ किया है कि कोरोना अब ख़त्म हो गया है जबकि मैं साथ ही साथ आपको बताते चलूं की हर दिन कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। औसतन 90 से 95 हजार केस प्रतिदिन आ रहे हैं। ऐसे में सवाल आप महान जन प्रतिनिधियों से करेंगे या जनता से ,जिस से भी आप करना चाहें कर सकते हैं वैसे कोई फायदा है नहीं। अभी हाल ही में सरकार जेईई और नीट की परीक्षा लेने पर अड़ गई फिर क्या था भला सरकार के फैसले को कौन बदल सकता है। अब सुप्रीम कॉर्ट और सरकार के रिश्ते पर मैं कभी और बात करूंगी फिलहाल सामाजिक दूरी के कॉन्सेप्ट को समझना ज्यादा जरूरी है। अगर आप किसी परीक्षा में बैठे होंगे या मान लो ना भी बैठे हो पर परीक्षा केंद्र पर उमड़ने वाली भीड़ से जरूर वाक़िफ होंगे , तो क्या यहां सामाजिक दूरी जरूरी नहीं ? सिर्फ विदेशों के भ्रमण कर लेने मात्र से हमारा देश भी विकसित देशों की श्रेणी में आ जाए इसकी कल्पना कर लेने में कोई हर्ज नहीं पर ये भी समझ लेना जरूरी है कि इसका वास्तविक जीवन से कोई संबंध भी नहीं है। इस डर के माहौल में ट्रेन या प्लेन से सफर करना सबके बस की बात नहीं है ,क्युकी पहली बात तो ये की ख़्याल के नाम पर सरकारी कर्मचारी कैसे खाना पूर्ति करते हैं ये जग जाहिर है और दूसरी बात ये कि बंगाल बीजेपी अध्यक्ष की तरह सब लोगों के कानों में स्वयं कोरोना ने आ कर ये नहीं कहा अब तक की अब मैं भारत से जा रहा हूं या जा रही हूं ( लिंग का कोई ज्ञान नहीं है मुझे) और अगर कान में कोरोना ये कह भी दे फिर भी हर रोज आने वाले नए आंकड़ों को मैं बिल्कुल नजरअंदाज नहीं कर सकती। बात करूं मैं दूसरे परीक्षाओं कि तो राज्य सरकारें ही नही केंद्र सरकार भी मानो कान में तेल डाल कर सो रहा हो। बहुत सारी परीक्षाओं को अलग अलग स्तर पर ला कर छोड़ दिया गया है और शुक्र है इन सारे परीक्षाओं के ना होने में कोरोना कहीं से जिम्मेवार नहीं। कोरोना के शुरू होने के पहले जो परीक्षाएं आप लेे सकते थे , उन्हें तो आपने लिया नहीं पर अब इतनी तत्परता दिखाने के पीछे वजह क्या है? एक तरफ आप कहते हो सामाजिक दूरी का पालन करें ,दूसरी तरफ सामाजिक दूरी जैसे नियम को खुद ही ताक पर रखते हैं। अगर किसान सरकार के खिलाफ अपने हक़ के लिए कहीं इकट्ठा हो तो ऐसे जगहों पर सामाजिक दूरी का पालन अनिवार्य बन जाता है ,ऐसे लोगों पर पुलिस के द्वारा लाठी चार्ज भी कर दी जाती है। अगर छात्र परीक्षाओं को लेे कर आंदोलन करते हैं तो उन पर भी लाठी चार्ज कर दी जाती है। अभी हाल ही में एमपी में छात्रों के साथ कुछ ऐसा ही वाकया हुआ और हरियाणा में अपनी मांग को ले कर आंदोलनरत किसानों के साथ भी यही दोहराया गया। सरकार ने खुद ही सामाजिक दूरी का मजाक बना कर रख दिया है ऐसे में इसे गंभीर मुद्दा कहना कहीं से उचित नहीं। सरकार को अपना काम करने दें पर आपकी और आपके परिवार की सुरक्षा की पूरी जिम्मेवारी आपकी है। सामाजिक दूरी का पालन जितना हो सके जरूर करें। स्वस्थ रहें ,सुरक्षित रहें और घर के बाहर मास्क का प्रयोग भी जरूर करें।
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- Namita Priya

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