गढवा : झारखंड मुक्ति मोर्चा ने जिला कार्यालय में हूल दिवस मनाया गया। जिला अध्यक्ष तनवीर आलम ने कार्यक्रम की अध्यक्षता कि तथा सभी नेताओं ने बारी-बारी से प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर सिद्धू-कान्हू को याद किया। जिला सचिव मनोज ठाकुर ने उनकी जीवनी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 30 जून 1854 को क्रांतिकारी नेता सिद्धू मुर्मू एवं कान्हू मुर्मू के आवाह्न पर राजमहल के पंचवर्षीय भोगनाडीह में 20 हजार संथालों ने ब्रिटिश हुकूमत के अधीन महाजनी प्रथा और सरकार की बंदोबस्ती नीति के खिलाफ विद्रोह किया था। इस विद्रोह का मूल कारण था आदिवासियों से 50 प्रतिशत से 500प्रतिशत तक खेती कर वसूल करना। इस अन्याय के खिलाफ जब भाई सिद्धू-कान्हू, चांद-भैरव और बहन फूलों-झानो ने आवाज उठाई तो सैकड़ों लोगों ने उनका स्वागत किया और अपने परंपरागत अस्त्र तीर-धनुष के साथ भोगनाडीह गांव में जमा होकर खुद को स्वतंत्र घोषित कर अंग्रेजो के खिलाफ जंग छेड़ने की घोषणा कर दिया था। उन्होंने शपथ लिया कि तत्कालीन ब्रिटिश सरकार और अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकना है। उनके समाज का नारा था जमींदार, महाजन, पुलिस, राजदेन, अमला को गुजुकमाड़। अर्थात जमींदार, महाजन, पुलिस और सरकारी अमला का नाश हो। क्या क्रांति भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उग्र क्रांतिकारी आंदोलन में से एक था जिसमें लगभग 20 हजार लोग शहीद हुए थे। कहा जाता है कि सिद्धू मुर्मू को अंग्रेजी पुलिस ने पकड़ लिया और उनका एनकाउंटर कर दिया। तबसे इस तिथि को क्रांति दिवस यानी हूल दिवस के रूप में मनाया जाता है। मौके पर केंद्रीय समिति सदस्य परेश तिवारी, महिला मोर्चा अध्यक्ष अंजली गुप्ता, धीरेंद्र चौबे, जिला प्रवक्ता धीरज दुबे, संयुक्त सचिव अभिषेक धर दुबे, सह सचिव मासूम रजा, नगर कमिटी अध्यक्ष अरविंद पटवा, कोषाध्यक्ष डब्लू सिद्दकी, उपाध्यक्ष नवीन तिवारी, प्रखंड अध्यक्ष फुजैल अहमद, उपाध्यक्ष नीरज तिवारी, शैलेश तिवारी, वरिष्ठ नेता अशर्फी बैठा, रंथा नायक, संजय चौधरी, इमाम हुसैन, अमित पांडे, दिलीप गुप्ता, चंदन पांडे आदि उपस्थित थे।
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