इस देश का सिस्टम कैसे चलता है, एक आम व्यक्ति को न्याय कैसे कब तक मिल पाता है, ये कहना तब मुश्किल हो जाता है जब देश के नाम जिंदगी कर देश को महफूज रखने वाले जवान का परिवार अपने घर मे असुरक्षित रहता है. सीमा पर तैनात जवान देश की जमीं की रक्षा करने में तो कामयाब है पर उस जवान के घर की जमीं पर अवैध कब्जा कर लिया जा रहा है. उसकी माँ दर-दर की ठोकरें खा रही है. पीड़ित परिवार की मानें तो हर रोज नई धमकियां मिलती हैं. अब तो जान माल का डर सताने लगा है. मामला मेदिनीनगर बैरिया का है. एक अकेली महिला माला देवी जिनके पति अखलेश्वर प्रसाद बाहर रहते हैं. बेटा फौज में बॉर्डर पर तैनात है. लिहाजा घर मे बहु के साथ अकेली रहती है. 1993 में शंकर सिंह से खरीदा हुआ जमीन पर कुछ असामाजिक तत्व के लोग कब्जा कर लेते हैं. माला देवी पहले थाना जाती हैं. फिर अंचल अधिकारी के पास, मामला न्यायालय पंहुचता है. बावजूद माला देवी को जमीन छोड़ने की धमकी मिलते रहती है. अब जमीन पर अवैध कब्जा भी होने लगा. माला देवी रोकने की कोशिश करती है तो फिर से जान से हाथ धोने की धमकी मिलती है.एसपी, डीसी सबके पास चक्कर काटकर न्याय की गुहार लगा रही महिला को अब तक न्याय तो नही मिल पाया. अब उसे परिवार की सुरक्षा की चिंता सताने लगी है. 1993 से अबतक लगातार रसीद कटवा रही माला देवी अपने जमीन के कागजात के साथ सभी पदाधिकारियों के दरवाजे खट-खटा रही हैं. न्याय की गुहार लगा रही हैं पर कब तक उन्हें न्याय मिल पायेगा ये कहना मुश्किल है.
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