मेदिनीनगर : बदलते जमाने मे ठगी के तरिके भी बदलते जा रहे हैं. इतनी चालाकी से जाल बिछाया जा रहा है कि आपको जब तक भनक लगेगा तब तक सब कुछ लूट चुका होगा. ऐसा ही एक मामला आया है मेदिनीनगर में, कुछ दिन पहले तक अघोर आश्रम के समीप एक अस्पताल संचालित था. नाम था लीलावती अस्पताल , लेकिन 3 जनवरी को अचानक इस अस्पताल को पीएनबी बैंक द्वारा लोन ना चुकाने का हवाला देकर सील कर दिया गया और तब से लीलावती अस्पताल के संचालक थाना, बैंक, अंचल कार्यालय, उपायुक्त कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं, न्याय की गुहार लगा रहे हैं.
जिस अस्पताल को सील किया गया. वहां कई सालों से अस्पताल चला रहे राजीव कुमार की मानें तो 2010 में ही ललित कुमार से जमीन को खरीद चुके हैं. बावजूद 2013 में ललित कुमार पीएनबी बैंक से बाबा ट्रेडर्स नामक प्रतिष्ठान के ऊपर 40 लाख का लोन लेते हैं. और उसी लोन के आधार पर बैंक उनके अस्पताल को सील कर दी. बहरहाल बैंक की हुई इस कारवाई के खिलाफ शहर थाने में पीएनबी बैंक मैनेजर और चीफ मैनेजर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई गई है, और जांच कर कार्रवाई की मांग की गई है.
पूरे मामले पर हमने पीएनबी के शाखा प्रबंधक से बात करने की कोशिश की, तो छुट्टी लिए हुए प्रबन्धक ने कई बार कॉल का जवाब नही दिया. हालांकि विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक जब हमने ये जानने की कोशिश की तो पता चला कि 14 सितम्बर 2013 को ललित कुमार ने पीएनबी से 40 लाख रुपये लोन लिया था. और बदले में उसी जमीन के आगे के हिस्से को जो एग्रीमेंट किया हुआ था उसे मॉर्गेज रखा था. 28 जनवरी 2016 को लोन एनपीए होता है. और उसके बाद लगातार नोटिस के बावजूद जब ललित कुमार द्वारा कोई पहल नही की जाती तो बैंक द्वारा सम्पति का ऑक्शन करवाया जाता है. 26 सितम्बर 2019 को ऑक्शन में राजकुमार गुप्ता ने 41लाख 16 हजार 1 रुपये में उस भवन को खरीद लिया. जिसके बाद इलेक्शन की वजह से कब्जा नही किया जा सका और 3 जनवरी को भवन को बैंक ने सील कर दिया. अब पूरे मामले में बैंक और राजीव कुमार कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं और जिसने लोन का पैसा लिया वो बिल्कुल अंजान बन मामले से बाहर है.
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