गढ़वा : नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी पर जानकारी थोड़ी है और भ्रम ज़्यादा , इसी वजह से पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, लोग सवाल उठा रहे हैं, चिंता जता रहे हैं.
सरकार ने आधिकारिक तौर पर बहुत कम जानकारी दी है जबकि पार्टी से जुड़े लोग तरह-तरह के बयान दे रहे हैं जिससे भ्रम बढ़ा है और विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है. शुरुआत पुरुवोतर भारत के असम से हुई. इसके बाद अलीगढ़ यूनिवर्सिटी और दिल्ली के जामिया यूनिवर्सिटी में भी जबरजस्त प्रदर्शन हुए. बंगाल में भी लोग सड़कों पर उतरे. लखनऊ में प्रदर्शन कारी उन्मादी हो गए. अब इनमे खास बात ये है कि सभी जगहों पर अलग अलग सोच के साथ विरोध हो रहे हैं. असम के लोगों को लगता है की बाहरी लोग आकर उनका हक अधिकार छीन लेंगे. तो विरोध कर रहे छात्रों को लगता है कि मुस्लिम नागरिकता खतरे में है. कहीं संविधान को खतरे में बताया जा रहा है. पलामू में भी इप्टा के द्वारा विरोध जताया गया था और अब गढ़वा में महागठबंधन के नेताओं ने 28 दिसम्बर को विरोध जताने की जानकारी दी और सड़क पर उतर प्रदर्शन की भी चेतावनी दे डाली. वहीं भीम आर्मी के संस्थापक की रिहाई नही होने पर प्रदेश अध्यक्ष ने 16 जनवरी को पूरे राज्य को बंद कराने की भी चेतावनी दे डाली.
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