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23 Mar, 2025
85 साल बाद विद्यालय तक पहुंचने का सपना हुआ साकार, सीओ की पहल से सड़क निर्माण का रास्ता साफ
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रिपोर्ट :- विनोद कुमार ठाकुर

सतबरवा प्रखंड के घुटुआ पंचायत अंतर्गत पीएम श्री स्तरोन्नत प्लस टू उच्च विद्यालय सोहड़ीखास के विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए 85 वर्षों बाद एक बड़ी राहत आई है। यह विद्यालय 1940 में स्थापित हुआ था, लेकिन आजादी के बाद भी अब तक इस विद्यालय तक पहुंचने के लिए कोई पक्का सड़क निर्माण नहीं हो सका था। विद्यार्थियों को पगडंडी और क्यारी के रास्ते पर चलकर विद्यालय पहुंचने के लिए मजबूर होना पड़ता था। विशेषकर बरसात के मौसम में यह रास्ता न केवल फिसलन भरा होता था, बल्कि विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए एक बड़ा खतरा भी बन जाता था।

सीओ की अनूठी पहल
यह स्थिति अब बदलने जा रही है और इसका श्रेय सतबरवा के बीडीओ सह सीओ श्री कृष्ण मुरारी तिर्की और उप प्रमुख कामाख्या नारायण यादव को जाता है। उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप  सड़क निर्माण के लिए आवश्यक जमीन की मापी की गई और अतिक्रमण को हटाने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया गया। इस कार्रवाई से अब सड़क निर्माण का रास्ता साफ हो गया है।

अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया
सीओ श्री तिर्की ने बताया कि सड़क निर्माण के लिए जो गैरमजरूआ जमीन थी, उसे अतिक्रमण से मुक्त किया गया है। अब वहां सड़क बनाने के लिए कोई रुकावट नहीं रहेगी। उप प्रमुख कामाख्या नारायण यादव ने कहा कि सड़क निर्माण के बाद बच्चों और शिक्षकों को विद्यालय पहुंचने में काफी सुविधा होगी। उन्होंने इसे बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया कि इतने वर्षों तक यहां सड़क नहीं बन सकी थी।

अतिक्रमण अभियान में पुलिस का सहयोग
इस अतिक्रमण हटाने के अभियान में अंचल कर्मी सीआई अनीश कुमार, कर्मचारी श्रीकांत दास, सतबरवा के कर्मचारी विकास कुमार मिंज, अमीन हरेंद्र प्रजापति, एएसआई अजय यादव समेत लेस्लीगंज पुलिस के जवान और आंचल होमगार्ड के जवान शामिल थे। इस सामूहिक प्रयास ने न केवल स्कूल की ओर जाने वाली सड़क की योजना को आकार दिया, बल्कि यहां के लोगों को यह एहसास दिलाया कि विकास और सुधार के लिए सामूहिक प्रयासों की कितनी अहमियत है।

आखिरकार, 85 साल बाद उम्मीद का सूरज चमका
गौरतलब है कि यह विद्यालय 85 वर्षों से इस कठिन रास्ते पर शिक्षा प्रदान कर रहा था। अब जबकि सड़क बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए गए हैं, यह कदम शिक्षा की ओर एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। छात्र-छात्राओं और शिक्षकों की मुश्किलों में कमी आएगी और विद्यालय तक पहुंचने में समय की भी बचत होगी।



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