
मेदिनीनगर : पलामू जिला में दुर्गा पूजा महोत्सव मनाने की बहुत पुरानी परंपरा है। लोग बताते हैं कि इस परंपरा की शुरुआत पलामू जिला के हरिहरगंज प्रखंड स्थित सरसोत गांव से हुई है। सरसोत गांव के निवासी कपिल देव सिंह ( 80 वर्षीय ) ने बताया कि मेरे जन्म से पहले शैलेंद्र बाबू के दादाजी बेनी माधव सिंह ने दुर्गा पूजा मनाने की शुरुआत की थी। यह लगभग 1911 की बात है। तब से लेकर आज तक यह महोत्सव बेनागा दुर्गा पूजा का भव्य आयोजन किया जाता है।
इस गांव के लिए दशहरा महत्वपूर्ण पर्व के रूप में स्थापित हो चुका है। इस पर्व के अवसर पर गांव के सभी लोग चाहे किसी भी जाति या धर्म के हो मिलकर पूजा का आयोजन करते हैं।
पूजा के आयोजन के लिए प्रतिवर्ष कमेटी का निर्माण किया जाता है। हर साल कमेटी के अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष का चुनाव होता है। कमेटी में सभी जाति के लोग सक्रिय होते हैं।
कमेटी का पुराना नाम संस्कृतिक समिति था। वर्तमान में इसका नाम बदलकर नव संस्कृतिक समिति हो गया है, जिसके अध्यक्ष आशुतोष सिंह, सचिव जितेंद्र प्रजापति, कोषाध्यक्ष शिव रजक है। सरसोत गांव के इस पूजा में बलि प्रथा के तहत किसी जीव की हत्या नहीं की जाती। बल्कि देवी के नाम पर बकरा एवं बकरी को स्वतंत्र छोड़ दिया जाता है। देवी के नाम पर छोड़े गए उसे बकरा और बकरी को गांव के लोग सुरक्षा प्रदान करते हैं। गांव की यह मान्यता है कि स्वतंत्र छोड़े गए जीव गांव की रक्षा करेगा। उसे जीव की मृत्यु के पश्चात उसका भी संस्कार किया जाता है। साथ ही दुर्गा पूजा के दिन नया बकरा और बकरी खरीदा जाएगा, वह भी गांव के लोगों से चंदा लेकर।
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