
मेदिनीनगर : छद्म में प्रेम के नाम पर नफरत और हिंसा के माहौल के बीच इप्टा द्वारा संचालित संस्कृतिक पाठशाला की 22वी कड़ी में ढाई आखर प्रेम के स्वरूप पर चर्चा का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता ज्ञान विज्ञान समिति के प्रांतीय अध्यक्ष शिवशंकर प्रसाद व महिला एवं बाल विकास केंद्र के सचिव आसुतोष सिंह ने संयुक्त रूप से किया।
विषय प्रवेश कराते हुए प्रेम प्रकाश ने कहा कि प्रेम के अनन्त स्वरुप है। प्रेम में अपेक्षा के भाव नहीं होते और ना ही अपेक्षा की नहीं की जाती है। प्रेम का कारण भी नहीं होता। प्रेम सत्य से साक्षात्कार करता है। प्रेम और श्रम के बीच गहरा संबंध है। नफऱत व हिंसा के दौर में प्रेम के विभिन्न रूपों से परिचित होना जरूरी है। प्रेम ही सुंदर दुनिया की रचना कर सकता है।
शिक्षक गोबिंद प्रसाद ने कहा कि प्रेम के विविध स्वरुप है। किसी भी कार्य को समर्पण के साथ करना प्रेम का पर्याय है। कुलदीप राम ने कहा कि जहाँ सम्वेदना मृत हो चुकी हो वहाँ प्रेम नहीं हो सकता। समरेश सिंह ने कहा कि वर्त्तमान समय पैसा पर आधारित होते जा रहा है।इसलिये समाजिक बन्धन टूट रहे हैं। भाई भाई का शत्रु बन जा रहा है। संजीव कुमार संजू ने आज एक दूसरे से प्रेम पूर्वक रहना जरूरी है। गौतम कुमार ने कहा कि प्रेम में केवल देना होता है। प्रेम का कोई मोल नहीं।
शिक्षक अच्छेलाल ने कहा कि यह प्रेम ही है हम एक दूसरे से मिलकर संवाद स्थापित कर रहे हैं। निजी जीवन के अनुभव को साझा किया। प्रगतिशील लेखक संघ अध्यक्ष पंकज श्रीवास्तव ने कहा कि प्रेम सम्वेदना का पक्ष है। सहमति व असहमति के बीच भी प्रेम पाया जाता है।
घनश्याम ने कहा कि कुछ नयी करने की चाहत प्रेम का पर्याय हो सकता है। जहाँ समाजिक बंधन टूट रहे हैं। आदमी आदमी का शत्रु हो रहा है ।वहाँ प्रेम को ही एक मात्र रास्ता है जो एक नयी दुनिया का निर्माण कर सकता है।
इप्टा पलामू के सचिव रविशंकर ने कहा कि यह प्रेम व समर्पण की भावना है जो 22वी कड़ी में हम कुछ नया करने की जदोजहद में लगे हुए हैं।
आसुतोष सिंह ने कहा कि जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि प्रेम को प्राप्त करना है। अध्यक्षीय वक्तय में शिवशंकर प्रसाद ने कहा कि प्रेम के विविध स्वरूप है। प्रेम हमे सर्वस्य निछावर करने की प्रेणा देता है। आधुनिक युग के दार्शनिक आसो प्रेम को मृत्यु के समीप ले जाते हैं।
संस्कृतिक पाठशाला के अंत में छात्र व विज्ञान आंदोलन से जुड़े एवं नेतरहाट फायरिंग रेंज के आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाले शिवशंकर त्रिपाठी की आकस्मिक निधन पर शोक श्रद्धांजलि अर्पित की गई। शोक प्रस्ताव रखते हुए शिव शंकर प्रसाद ने कहा कि शिव शंकर त्रिपाठी साक्षरता आंदोलन के समर्पित कार्यकर्ता थे। साक्षरता अभियान के प्रचार प्रसार के लिए केरल से आए संस्कृतिक जत्था के प्रबंधक के रूप में अपनी भूमिका निभाते हुए पूरे पलामू का भ्रमण कराया था। वैज्ञानिक चेतना के लिए निरंतर अध्यनरत रहने वाले शिव शंकर त्रिपाठी ने ए आई एस एफ जुड़कर छात्रों के हित में कई आंदोलन का नेतृत्व भी किया। उनकी कार्यशैली और कृत्यों को बराबर याद किया जाता रहेगा। पाठशाला में उपस्थित सभी लोगों ने मौन धारण कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित किया।
इस मौके पर अजित ठाकुर , जावेद अख्तर, दीपक कुमार, समरेश सिंह, संजीव कुमार संजू, सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
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