
मेदिनीनगर :- भारतीय जन नाट्य संघ इप्टा के सक्रिय रंगकर्मी, लेखक, साहित्यकार, प्रगतिशील चिंतक और कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता रहे कामरेड उमेश नजीर की दूसरी पुण्यतिथि पर इप्टा और प्रगतिशील लेखक संघ की पलामू इकाई ने उन्हें याद किया। बुधवार को इप्टा कार्यालय में उनकी विरासत और संघर्षों को याद करते हुए श्रद्धांजलि सभा सह मुशायरा का आयोजन हुआ। सबसे पहले साथी नज़ीर की तस्वीर पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि कर सबों ने उन्हें अपना सलाम पेश किया । इसके बाद इप्टा के कलाकारों ने उनके द्वारा लिखे गीत बोल रे भाई झारखंडी गाकर उन्हें याद किया।
मौके पर वरिष्ठ वामपंथी नेता केडी सिंह ने याद करते हुए कहा कि वे सक्रिय कार्यकर्ता, समाजसेवी, साहित्य प्रेमी ,गीतकार और कवि थे। उनके द्वारा किए कार्य को भुलाया नहीं जा सकता। शिवशंकर प्रसाद ने कहा कि छात्र जीवन से ही क्रांतिकारी विचारों की लड़ाई लड़ी और आजीवन कुशल समाजसेवी साहित्य प्रेमी रहे। हमसबों को उनकी वैचारिक प्रतिबद्धता से प्रेरणा लेनी चाहिए। प्रो अब्दुल हमिद ने कहा कि इप्टा और प्रगतिशील लेखक संघ के संयोजन में उनके किए गए कार्यों पर एक नाटक तैयार कर मंचन करना चाहिए, जिससे सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
गोष्ठी के बाद मुशायरा का आयोजन किया गया जिसमें रचनाकारों ने अपनी प्रस्तुति से उनको श्रद्धांजलि अर्पित की। शायर इंतेखाब असर ने पढ़ा कि "रफ्ता रफ्ता मैंने भी उनसे किनारा कर लिया, जो नहीं करना था ओ मैंने गवारा कर लिया.." वरिष्ठ शायर डॉ मकबूल मंजर ने स्मरण करते हुए कहा कि कम उम्र में लंबी लकीर खींच कर हम सभी के प्रेरणा स्रोत चले गए। वो शदस्ते से गम से बदहाल भी कर जायेगी..। युवा कवि घनश्याम ने अपनी एक कविता एक युद्ध चाहता हूं छद्मवेशधारियों के ख़िलाफ़, जो रौदते हैं ,हमारी भावनाओं को सुनाया। नुदरत नेवाज ने नज़्म पढ़ी जितना दुस्वार रास्ता होगा उतना आसान भर हला होगा। अंत में उनके बड़े भाई और रंगकर्मी प्रेम प्रकाश ने भावुकतापूर्ण उनके संघर्षपूर्ण जीवन के अनछुए पहलुओं और महत्वपूर्ण घटनाओं का संस्मरण सुनाया और कहा कि उनके लिखे गए गीतों नाटकों कहानियों का संकलन कर रहा हूं जिसे इप्टा द्वारा प्रकाशित किया जाएगा। श्रद्धांजलि सभा का संचालन इप्टा पलामू के सचिव रविशंकर ने तथा राजीव रंजन ने धन्यवाद ज्ञापित किया। मौके पर सुरेश सिंह, ललन प्रजापति, हसनैन ख़ान, अरशद जमाल, मो जावेद, भूपेश, शशि पाण्डेय, भोला, पंकज, अजीत, संजू, समरेश, कुलदीप कुमार, संजीत, शिशुपाल समेत अन्य लोग उपस्थित थे।
एक परिचय
उमेश नजीर अपने संस्कृतिकर्म के दौरान इप्टा के आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाई । उनके द्वारा लिखे गीत आज भी झारखंड इप्टा के कलाकार अपने कार्यक्रमों में गाते हैं । उनके लिखे चर्चित गीतों में बोल रे भाई झारखंडी, बोलो झारखंड और कल की सुबह अनोखी होगी , कल की शान निराली रे, खेत खेत में गूंजे बिरहा कजरी गाए कुदाली रे शामिल है । इसी के साथ उनके द्वारा लिखे गए गजल का भी एक शेर बार-बार याद आता है। नवाजिश पर नवाजिश हो रही है , उधर कोई संगीन साजिश हो रही है, इधर शीशे का घर तामीर हो रहा है, उधर से पत्थर की बारिश हो रही है। नजीर बिरसा संगठन से जुड़कर खान, खनिज और अधिकार के लिए भी काम कर रहे थे। प्रगतिशील लेखक संघ और भारतीय जन नाट्य संघ के राज्य परिषद के सदस्य भी रह चुके थे । उन्होंने कई नाटक भी लिखे थे , जिनमें उलगुलान और अब हद हो गई सहित डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के लिए भी उन्होंने स्क्रिप्ट लिखा है । नज़ीर साहेब की कई भाषाओं पर अच्छी पकड़ थी। वे हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत, गुरमुखी, संताली और हो भाषा के जानकार थे। उन्होंने कई किताबों का हिंदी से अंग्रेजी और दूसरी भाषाओं में अनुवाद भी किया है। उनके कई लेख, कहानियां और विचारोतेजक टिप्पणी कई पत्र-पत्रिकाओं और पुस्तक में प्रकाशित किये गए हैं। एक कुशल संगठनकर्ता के रूप में इप्टा हमेशा उन्हें याद करता रहेगा।
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