कुछ परमपराएं हमारे अस्तित्व को और मजबूती प्रदान करती हैं , हर बार ये हम में अदम्य साहस , धैर्य , खुशियां , समर्पण , सम्मान , त्याग और आगे बढ़ने कि चाहत के साथ साथ ना जाने कई कीमती चीज़े हमें सिखा जाती हैं , जिसे महज़ किताबों में ढूंढ़ पाना मुमकिन नहीं है। त्योहार और खुशियों का बहुत पुराना रिश्ता है , ये जहां भी होती हैं ,साथ में ही होती हैं। हर त्योहार का अपना कुछ ना कुछ इतिहास होता ही है तथा हर त्योहार से अनेकों पौराणिक कथाएं जुड़ी होती हैं। हमारे देश में दुर्गा पूजा का विशेष महत्व है, इसे बुराई पर अच्छाई के जीत के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं की मानें तो दशमी के दिन ही राम भगवान ने रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि व दस दिन के युद्ध के उपरांत महिषासुर पर विजय प्राप्त किया था। महिषासुर के वध की कहानी बहुत ही रोचक है। महिषासुर एक असुर था, महिशासुर का पिता रंभ असुरों का राजा था, जो एक बार जल में रहने वाले भैंस से प्रेम कर बैठा और इन्हीं के योग से महिशासुर का आगमन हुआ। संस्कृत में महिष का अर्थ भैंस होता है। महिषासुर सृष्टिकर्ता ब्रह्मा का महान भक्त था और ब्रम्हा ने उसे वरदान दिया था कि कोई भी देवता या दानव उस पर विजय प्राप्त नहीं कर सकता। अब महिषासुर अत्यंत शक्तिशाली बन चुका था , वो पृथ्वी पर ही नहीं बल्कि स्वर्गलोक में भी उत्पात मचाने लगा। महिषासुर अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हुए एक बार स्वर्गलोक पर भी आक्रमण कर दिया और इंद्र को परास्त कर स्वर्गलोक पर अपना कब्जा कर लिया। देवतागण परेशान हो कर त्रिमूर्ति ब्रम्हा ,विष्णु और महेश के पास सहायता के लिए पहुंचे परन्तु इस बार भी महिषासुर ने देवताओं को पुनः परास्त कर दिया। कहते हैं समझदार इंसान हमेशा प्लान बी रेडी रखता है ,तो ज़रा सोचिए देवताओं के पास कितने प्लान होते होंगे। देवताओं ने जब ये देखा कि उनका प्लान ए काम करना बंद कर चुका है ,तब उन्होंने अपने प्लान बी के तहत् महिशासुर के विनाश के लिए मां दुर्गा का सृजन किया। देवी दुर्गा ने महिषासुर पर आक्रमण कर नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया। ऐसी उपलक्ष्य में दस दिनों का त्योहार दुर्गा पूजा मनाया जाता है। अब के वक़्त में रामलीला का आयोजन होना लगभग बंद हो चुका है , अब इन कामों के लिए आखिर वक़्त किसके पास है। आज भी दिन और रात 24 घंटों के ही होते हैं ,पर वो काम जिस से हम खुश हुआ करते थे , ऐसे कामों के लिए हमारे पास वक़्त नहीं है। हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है और इसीलिए दशहरे का सांस्कृतिक पहलू भी है। किसानों के द्वारा फसल उगा कर अनाज को घर लाना बहुत प्रसन्नता की बात होती है और वो इसी प्रसन्नता को जाहिर करने के लिए दशहरे में पूजा अर्चना करता है। महाराष्ट्र में इसे "सिलंगण" के नाम से सामाजिक महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। देश के विभिन्न हिस्सों में इसे अलग अलग नामों से तथा अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। हिमाचल प्रदेश में "कुल्लू का दशहरा" बहुत प्रसिद्ध है। पंजाब में दशहरा नौ रात्रि के नौ दिनों का उपवास रख कर मनाते हैं। बंगाल , ओडिसा और असम में यह पर्व दुर्गा पूजा के रूप में ही मनाया जाता है। तमिलनाडु , आंध्रप्रदेश एवं कर्नाटक में दशहरा नौ दिनों तक चलता है ,जिसमें तीन देवियों लक्ष्मी , सरस्वती और दुर्गा की पूजा करते हैं। गुजरात में मिट्टी सुशोभित रंगीन घड़ा देवी का प्रतीक माना जाता है और इसको कुंवारी लड़कियां सर पर रख कर एक लोकप्रिय नृत्य करती हैं , जिसे गरबा कहा जाता है। महाराष्ट्र में नौ रात्रि की नौ दिन मां दुर्गा को समर्पित करते हैं, जबकि दसवें दिन ज्ञान कि देवी सरस्वती की वंदना की जाती है। एक ही पर्व को अनेकों तरीके से मनाने वाला ये देश ही तो भारत है, तभी तो हम अनेकता होने के बाद भी एकता की बात करते हैं। पहले दुर्गा पूजा बसंत ऋतु में ही मनाई जाती थी ,पर जब भगवान राम ने रावण को मारने के लिए ' अकलबोधन ' ( जागरण ) किया था , उनसे प्रसन्न हो कर मां दुर्गा ने उन्हें आशीर्वाद दिया था तब से आश्विन महीने में भी दशहरा मनाया जाने लगा। वैसे तो दुर्गा पूजा लगभर देश के हर हिस्सें में धूम धाम से ही मनाया जाता है ,पर बंगाल का दुर्गा पूजा पूरे देश भर में मशहूर है। वहां बनने वाले भव्य पंडाल , आकर्षक मूर्तियां हमेशा से आकर्षण का केंद्र रही हैं। कुछ महत्वपर्ण बातें जो बंगाल कि दुर्गा पूजा को ख़ास बनती हैं जैसे - चोखुदान ( मां दुर्गा के आंखों को आखिरी में बनाने का प्रचलन है चोखूदान) ,अष्टमी पुष्पांजलि , पारा और बारिर पूजा ,कुमारी पूजा , संध्या आरती , सिंदूर खेला , धुनुची नाच , विजय दशमी आदि। यह महज़ एक परम्परा ना हो कर ,लोगों के विश्वास से जुड़ा है ये पर्व। हालांकि इस बार कॉविड-19 की वजह से पहले से ही केंद्र सरकार व राज्य सरकारों के द्वारा गाइडलाइंस जारी कर दी गई हैं, जिसे पालन करवाने कि जिम्मेवारी प्रशासन की है। मां दुर्गा की असीम कृपा सब पर बनी रहे। स्वस्थ रहें.....सुरक्षित रहें।
आप सभी को दुर्गा पूजा की ढेरों शुभकामनाएं
शुभ नवरात्री
- VIA
- Namita Priya
-
03 May, 2024 231
-
02 May, 2024 407
-
29 Apr, 2024 256
-
29 Apr, 2024 196
-
26 Apr, 2024 159
-
19 Apr, 2024 485
-
26 Jun, 2019 4184
-
25 Nov, 2019 4136
-
24 Jun, 2019 4005
-
22 Jun, 2019 3603
-
25 Jun, 2019 3405
-
23 Jun, 2019 3295