
दलित राजनीति के वरिष्ठ नेता रामविलास पासवान की मृत्यु पर शोक कुछ ख़ास समुदाय ही नहीं बल्कि पूरा देश जाता रहा है। रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने अपने पिता की मृत्यु का दुखद समाचार ट्विटर पर साझा करते हुए लिखा है - " पापा अब आप इस दुनिया में नहीं हैं ,लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं, हमेशा मेरे साथ हैं।" ऐसा बताया जा रहा है कि रामविलास पासवान लंबे समय से इलाजरत थे , जिनका निधन 74 साल की उम्र में दिल्ली के एक अस्पताल में हो गया। रामविलास पासवान लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष पद के साथ साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी थे। इन्होंने सोलहवीं लोकसभा में बिहार के हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतनिधित्व भी किया। पिछले 32 वर्षों में इन्होंने 11बार चुनाव लड़ा ,जिसमें 9 बार इन्होंने जीत हासिल की। इन्होंने अनेकों मत्री पद को भी संभाला जैसे :- भारत के रेल मंत्री का पद (1996 - 1998 ) , केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री ( 1999 - 2000 ), अटल बिहारी वाजपेई के प्रधानमंत्री कार्य काल के दौरान , केंद्रीय खनिज मंत्री ( 2001 -2002 ) ,फिर से अटल बिहारी वाजपेई के कार्यकाल में , केंद्रीय रसायन व उर्वरक मंत्री (2004 - 2009) , मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान , उपभोक्ता मामलात मंत्री ( 26 मई 2015 से तथा पुनः 30 मई 2019 से वर्तमान )। सतरहवी लोक सभा अर्थात 2019 में हुए चुनाव को भले ही ना लड़ने का निर्णय लिया पर इस लोक सभा में भी, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सरकार में फिर से उपभोक्ता मामलात मंत्री पद की शपथ ली। वैसे तो रामविलास पासवान मुख्य रूप से दलित नेता ही माने जाते थे पर यूं बीजेपी सरकार में मंत्री पद पर बने रहने पर एक बार बीबीसी ने भी ये सवाल किया था कि "आप जिस सरकार में मंत्री हैं ,उसकी छवि दलित - अल्पसंख्यक विरोधी सरकार की बन गई है।" उन्होंने उत्तर में कहा था -" यह छः महीने पहले थी ,हमने तब भी कहा था छवि को बदलना होगा। इस छवि को सुधारना हमारा काम है"। इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार की अनेकों उपलब्धियों को भी गिनवाया था। एक दूसरा सवाल बीबीसी ने थे भी किया था कि " लेकिन रामविलास पासवान जी ,इस सरकार के समय में देश भर में दलितों और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के मामले भी बढ़े हैं?" इस सवाल पर रामविलास पासवान ने उत्तर दिया था "हम नहीं मानते हैं। अत्याचार के मामले पहले से भी रहे हैं।अगर अत्याचार बढ़े हैं तो एसीसी - एसटी एक्ट को रोकते क्यूं हो.. इस एक्ट को रोकने से ये अत्याचार और बढ़ेगा। हमारा यही मानना है। बेशक भारत जैसे देश में मंत्री के पद को संभालना इतना आसान काम तो नहीं होता। रामविलास पासवान वीपी सिंह , एचडी देवगौड़ा , इन्द्रकुमार गुजराल, अटल बिहारी वाजपेई , मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी , इन सभी प्रधानमंत्रियों के कैबिनेट में अपनी जगह बनाने वाले ये शायद एकमात्र व्यक्ति थे। बिहार जन्मभूमि होने की वजह से, रामविलास पासवान का एक ख़ास लगाव बिहार से हमेशा बना रहा। कन्हैया कुमार ने अपने ट्वीट में लिखा - " केंद्रीय मंत्री और बिहार के छात्र आंदोलन से निकले लोकप्रिय नेता श्री रामविलास पासवान जी के निधन कि सूचना अत्यंत दुखद है । इनका पूरा राजनीतिक जीवन अपने आप में एक युग के समान है । समर्थक और विरोधी , दोनों ही उनका बराबर सम्मान करते थे। नमन। पूरा देश अपने अपने तरीके से रामविलास पासवान जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
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