
मुझे नहीं लगता आप सब "एक्ट ऑफ गॉड" वाले जुमले से अनभिज्ञ होंगे और अगर आप पहली बार ये सुन रहे हैं तो कृपया इसकी पूरी जानकारी अवश्य लें। क्या हुआ जी. डी. पी -23.9% पर पहुंच गया तो? भला भगवान की मर्जी के बिना कोई पत्ता तक हिला है हमारे देश में। मैंने प्राकृतिक आपदा के बारे में तो पढ़ा है पर अपनी विफलताओं को भी \"एक्ट ऑफ गॉड\" के मत्थे मढ़ने की कला पहली बार देख रही हूं। जब हमारे देश की फिनांस मिनिस्टर अर्थव्यवस्था में हो रही तेजी से गिरावट को \"एक्ट ऑफ गॉड\" का नाम दे सकती हैं तो एक बेटा ,जिसकी आंखों के सामने उसकी मां को कश्मीर पुलिस के द्वारा मार दिया जाता है अगर वो \"जस्टिस फ्रॉम गॉड\" की गुहार लगा रहा हो तो मुझे नहीं लगता कि ऐसे में हमारे देश के ज्यूडिशियरी सिस्टम को कोई खेद प्रकट करना चाहिए। जिस देश की अर्थव्यवस्था \"एक्ट ऑफ गॉड\" के तहत काम कर रही हो, वहां न्याय की उम्मीद भला ज्यूडिशियरी सिस्टम से कैसे की जा सकती है। 45 वर्षीय महिला कौसर रियाज़ जो अपनी बेकरी शॉप पर बुधवार की सुबह अपने बेटे के साथ जा रही थी ,पुलिस के द्वारा उन पर गोलियां चलाई गई जिस से तुरंत ही उनकी मौत हो गई। कश्मीर के ये पहली घटना नहीं है, ऐसी ढेरों कहानियां हैं, जिनमें से बहुत सी कहानियां तो हम तक कभी पहुंच ही नहीं पाती। कश्मीर के बाहर रहने वालों के लिए ये जन्नत पर कश्मीर के लोगों के लिए ये वादियां मानो अभिशाप बन गई हों। कश्मीर की सुरक्षा व्यवस्था के बारे में बात करने के पहले वहां के भौगोलिक विस्तार को समझना ज्यादा उचित होगा। 1954 से 2019 तक जम्मू एंड कश्मीर कुछ अपवादों के साथ भारतीय राज्यों की गिनती में आता था। 20 वीं सदी के मध्य से ही कश्मीर के पूरब में चीन तथा पश्चिम में पाकिस्तान के साथ सीमा विवादों में बना रहा है। जम्मू एंड कश्मीर का पश्चिमी जिला जो अब आजाद कश्मीर के नाम से जाना जाता है तथा उत्तरी हिस्सा गिलगित बाल्टिस्तान के नाम से जाना जाता है ,पाकिस्तान के नियंत्रण में है। पूरब में अक्साई चीन जो तिब्बत सीमा से जुड़ा है, 1962 से ही चीन के नियंत्रण में है। अनुच्छेद 370 के अन्तर्गत कश्मीर को जो विशेष राज्य का दर्जा मिला था ,उसे भारत सरकार द्वारा 2019 में समाप्त कर दिया गया तथा इसकी जगह दो केंद्रशासित प्रदेश पूरब ने लद्दाख तथा पश्चिम में जम्मू एंड कश्मीर का गठन किया गया। केंद्रशासित प्रदेश वो प्रदेश हैं जहां शासन सीधे केंद्र के द्वारा चलाया जाता है। हमारे देश का शीर्ष व गौरव होने के साथ साथ जिस केंद्रशासित प्रदेश की सीमा तीन देशों से लगती हो और जो क्षेत्र हमेशा विवाद के घेरे में रहा हो, वहां की सुराक्षा व्यवस्था इतनी खराब तो नहीं होनी चाहिए कि वहां की पुलिस स्थानीय लोगों में और आतंकवादियों में फर्क ही ना कर सके। पिछले साल ही फरवरी में कश्मीर में 40 सी आर पी एफ के जवान सरकार की लापरवाही की वजह से सहिद हो गए। इतने संवेदनशील इलाके में इतनी सुरक्षा के बावजूद आतंकवादियों का ऐसे बेधड़क घुस आना पूरे सुरक्षा व्यवस्था तथा सरकार पर सवालिया निशान पैदा करता है। पुलिस लोगों के सुरक्षा के लिए जानी जाति है पर क्या हो अगर पुलिस से ही लोग असुरक्षित महसूस करने लगे। कौसर रियाज़ का बेटा एकीब रियाज़ ,जिसके सामने ही उसकी मां को मार दिया गया , वो ज्यूडिशियरी से न्याय पाने की बात ना कर ,उसने \"जस्टिस फ्रॉम गॉड\" की बात की। इसे आप भगवान पर भरोसा करना कहेंगे या चारो ओर छाए घोर अंधेरे में खुद को ना ढूंढ़ पाने कि विवशता??
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- Namita Priya

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