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06 Jun, 2025
वृक्ष खेती को आकाल सुखाड़ का भय नहीं होता वह किसानों को फिक्स्ड डिपॉजिट के समान होता है : डॉ कौशल
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छतरपुर अनुमंडल के केरकी कला गांव में विश्व पर्यावरण दिवस के 53वें और विश्व पर्यावरण धर्म एवं वन राखी मूवमेंट के 49वें स्थापना दिवस पर एक विशेष पर्यावरणीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रभात फेरी निकाली गई, जिसमें आसपास के करीब 20 गांवों के सैकड़ों पर्यावरण प्रेमियों ने भाग लिया। यह आयोजन न केवल प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश था, बल्कि एक चेतावनी भी कि यदि हमने अब भी प्रकृति की ओर ध्यान नहीं दिया, तो आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे ट्री मैन और पर्यावरण धर्मगुरु डॉ. कौशल किशोर जायसवाल ने कन्या पूजन और पर्यावरण धर्म की प्रार्थना के साथ पक्षियों के भोजन हेतु बरगद का पौधा लगाकर कार्यक्रम की शुरुआत की और समापन वृक्षों पर राखी बांधकर किया।

वृक्ष खेती: किसानों की फिक्स्ड डिपॉजिट

डॉ. कौशल किशोर ने अपने संबोधन में वृक्ष खेती को किसानों के लिए “फिक्स्ड डिपॉजिट” जैसा बताया। उन्होंने कहा कि वृक्षों की खेती को न सूखा सताता है, न ही अकाल। यह एक दीर्घकालीन निवेश है जो किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है। साथ ही यह जल संकट, ऑक्सीजन की कमी और बेकाबू गर्मी जैसे संकटों से भी राहत देता है।

डॉ. कौशल ने इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को पर्यावरण धर्म के आठ मूल ज्ञान मंत्रों की शपथ दिलाई और 500 से अधिक पौधों का वितरण और रोपण कराया। उन्होंने चेताया कि जहां-जहां जंगल काटे गए हैं, वहां-वहां विनाश हुआ है। कोरोना काल, दिल्ली, महाराष्ट्र और उत्तराखंड की आपदाएं इसी अंधाधुंध विनाश का परिणाम हैं।

वन राखी मूवमेंट: 45 वर्षों की संघर्षगाथा

डॉ. कौशल किशोर द्वारा 45 वर्षों से चलाए जा रहे वन राखी मूवमेंट ने केरकी कला और आसपास के क्षेत्र को एक हरे-भरे परिक्षेत्र में बदल दिया है। जहां कभी उजड़े जंगल थे, आज वहां सघन हरियाली है। यही इस आंदोलन की सबसे बड़ी सफलता है।

कार्यक्रम में सैकड़ों पर्यावरण प्रेमी महिलाओं और पुरुषों को पौधे, मिठाई, साड़ी और शॉल देकर सम्मानित किया गया। इस दौरान कई पंचायत प्रतिनिधि, पर्यावरण कार्यकर्ता और ग्रामवासियों ने अपने विचार रखते हुए कहा कि वनरक्षा और पर्यावरण सुरक्षा ही आने वाले समय की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।



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