
देशभर में वक्फ कानून के खिलाफ उठ रही आवाज़ अब झारखंड के पलामू ज़िले तक पहुँच चुकी है। शुक्रवार को चैनपुर थाना क्षेत्र के नेउरा गांव में सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने वक्फ कानून के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व जिला परिषद सदस्य फजायल अहमद कर रहे थे।
प्रदर्शन की शुरुआत एक जुलूस से हुई, जो गांव के विभिन्न हिस्सों से होकर गुजरा और अंत में एक सभा के रूप में तब्दील हो गया। हाथों में तख्तियां और बैनर लिए ग्रामीणों ने बिल को वापस लेने की मांग की। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख चिराग पासवान के खिलाफ नारेबाजी भी की गई।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वक्फ कानून, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों की भूमि पर खतरा बनता जा रहा है। लोगों का आरोप है कि इस कानून के माध्यम से उनकी निजी संपत्तियों पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं, जो संविधान और नागरिक अधिकारों के खिलाफ है।
नेता बोले – "बिल वापस लो"
विरोध का नेतृत्व कर रहे फजायल अहमद ने कहा, "यह कानून आम लोगों की संपत्तियों पर नियंत्रण करने की साज़िश है। जब तक यह बिल वापस नहीं लिया जाता, तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा। यह सिर्फ नेउरा की लड़ाई नहीं है, बल्कि देश के हर उस नागरिक की आवाज़ है, जो अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है।"
क्या है वक्फ कानून?
वक्फ कानून मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों से जुड़ा एक कानून है, जिसके तहत धार्मिक, सामाजिक और परोपकारी कार्यों के लिए दी गई संपत्तियों को वक्फ संपत्ति घोषित किया जाता है। हाल ही में इसमें कुछ संशोधन किए गए हैं, जिसे लेकर देशभर में विवाद और असहमति की लहर फैल रही है। कई लोगों का मानना है कि यह कानून उनके मौलिक अधिकारों का हनन करता है और इसके तहत बिना पर्याप्त सुनवाई के संपत्तियों को जब्त किया जा सकता है।
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