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25 Feb, 2025
डॉ कौशल किशोर जायसवाल का उत्तराखंड दौरा: पर्यावरण संरक्षण व जलवायु परिवर्तन पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन
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विश्वव्यापी पर्यावरण संरक्षण अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पर्यावरण धर्मगुरु, ट्री मैन के नाम से प्रसिद्ध, डॉ कौशल किशोर जायसवाल सोमवार को उत्तराखंड के तीन दिवसीय दौरे पर रवाना हो गए। इस दौरान वे देहरादून और मसूरी में पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेंगे।

डॉ कौशल किशोर जायसवाल ने बताया कि इस सम्मेलन में तमिलनाडु समेत देश के विभिन्न हिस्सों से पर्यावरणविद भाग लेंगे। इस सम्मेलन का उद्देश्य हिमालय के पर्यावरण की सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए रणनीतियों पर चर्चा करना है। इसके अलावा, डॉ कौशल इस सम्मेलन में पद्म भूषण से सम्मानित अंतरराष्ट्रीय पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा की धर्मपत्नी विमला बहुगुणा के 13वें श्राद्धकर्म में भी शामिल होंगे।

इस सम्मेलन में विशेष रूप से अमेरिका के जॉब एजेंसी और नेपाल के प्रसिद्ध पर्यावरणविद सरोज शर्मा की भागीदारी की पुष्टि भी हो चुकी है। डॉ कौशल ने इस सम्मेलन को पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया है, जिससे न केवल भारत, बल्कि अन्य देशों को भी जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए साझा प्रयासों की दिशा में एकजुट होने का अवसर मिलेगा।

निःशुल्क पौधा वितरण और वनराखी मूवमेंट की शुरुआत

डॉ कौशल किशोर जायसवाल अपने उत्तराखंड दौरे के दौरान निःशुल्क पौधा वितरण, रोपण और पर्यावरण धर्म वनराखी मूवमेंट (वर्ष 2025) कार्यक्रम की शुरुआत भी करेंगे। इस कार्यक्रम के अंतर्गत लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाएगा और हर व्यक्ति को एक पौधा वितरित किया जाएगा। डॉ कौशल का यह कार्यक्रम पर्यावरण संरक्षण को जन आंदोलन बनाने का एक अहम प्रयास है।

डॉ कौशल की पहल ने यह साबित किया है कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए प्रत्येक व्यक्ति की भूमिका अहम है। उनकी इस यात्रा और कार्यों से यह उम्मीद की जा रही है कि देशभर में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।

उत्तराखंड में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में नया कदम

उत्तराखंड, जो कि भारत के प्रमुख पर्यावरणीय क्षेत्रों में से एक है, में डॉ कौशल किशोर का यह कदम राज्य के पर्यावरण संरक्षण कार्यों को और सशक्त बनाएगा। उनके नेतृत्व में शुरू होने वाले कार्यक्रमों और पहलुओं से उम्मीद की जा रही है कि उत्तराखंड को पर्यावरणीय दृष्टिकोण से एक सकारात्मक दिशा मिलेगी और राज्य के जलवायु परिवर्तन पर प्रभावी नियंत्रण पाने की संभावना होगी।

इस दौरे के दौरान, डॉ कौशल किशोर ने अपने उद्देश्य को साझा करते हुए कहा कि पर्यावरण को बचाना अब केवल एक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हमारे भविष्य की आवश्यकता बन चुका है। उन्होंने सभी से अपील की कि वे इस मुहिम में शामिल होकर एक हरित और स्वस्थ भविष्य के लिए काम करें।



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