
मेदिनीनगर: एआईसीटीई-एटीएएल द्वारा प्रायोजित छह दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (एफडीपी) “स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरणीय स्थिरता” के पाँचवें दिन भवन ऊर्जा दक्षता और फेज चेंज मटेरियल्स जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श हुआ। यह कार्यक्रम गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज (जीईसी), पलामू के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा आयोजित किया जा रहा है, जिसमें देशभर से 450 से अधिक शिक्षकों, शोधकर्ताओं और उद्योग विशेषज्ञों ने भाग लिया है।
6 जनवरी 2025 को प्रारंभ हुए इस कार्यक्रम का समन्वयन डॉ. अभिषेक शर्मा और डॉ. मुरली मनोहर द्वारा किया जा रहा है। इसका उद्देश्य शिक्षाविदों और पेशेवरों को ऊर्जा और पर्यावरणीय स्थिरता से जुड़ी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए उन्नत ज्ञान और व्यावहारिक कौशल प्रदान करना है।
कार्यक्रम के पाँचवें दिन दो प्रेरणादायक सत्र आयोजित किए गए, जिन्होंने प्रतिभागियों को स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरण के क्षेत्र में नवीनतम शोध और प्रौद्योगिकियों से अवगत कराया।
सत्र 1:
डॉ. ताबिश आलम, वरिष्ठ वैज्ञानिक, सीएसआईआर-केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई), रुड़की, ने “भवन ऊर्जा दक्षता” पर गहन व्याख्यान दिया। उन्होंने भवनों के ऊर्जा खपत को कम करने और सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उन्नत तकनीकों और रणनीतियों पर प्रकाश डाला। उनके सत्र में इको-फ्रेंडली डिज़ाइन और स्मार्ट तकनीकों के उपयोग की उपयोगिता पर चर्चा की गई।
सत्र 2:
डॉ. मन मोहन, पोस्टडॉक्टोरल शोधकर्ता, यूनिवर्सिटी ऑफ सुवॉन, कोरिया गणराज्य, ने “फेज चेंज मटेरियल्स” के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने ऊर्जा भंडारण और जलवायु-संवेदनशील संरचनाओं में फेज चेंज मटेरियल्स के उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि यह तकनीक ऊर्जा दक्षता बढ़ाने और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में कैसे सहायक हो सकती है।
संवादात्मक और ज्ञानवर्धक सत्र:
दोनों सत्र प्रतिभागियों के लिए संवादात्मक और ज्ञानवर्धक साबित हुए। विविध शैक्षणिक और औद्योगिक पृष्ठभूमि के प्रतिभागियों ने इन चर्चाओं में सक्रिय रूप से भाग लिया और अपने अनुभव साझा किए। विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों के सवालों के उत्तर देकर उनके ज्ञान को और गहराई प्रदान की।
यह एफडीपी 13 जनवरी 2025 को संपन्न होगा। शेष दिनों में विशेषज्ञ सत्र, पैनल चर्चाएँ और विचार-विनिमय जारी रहेंगे। इस पहल के माध्यम से जीईसी पलामू ने सतत विकास और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत किया है।
कार्यक्रम के आयोजकों ने उम्मीद जताई कि यह एफडीपी प्रतिभागियों को वैश्विक ऊर्जा चुनौतियों का समाधान खोजने और पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने में मददगार साबित होगा।
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