
पूर्व राष्ट्रपति तथा भारत रत्न पुरस्कृत प्रणब मुखर्जी आज हमारे बीच नहीं रहे। वह 84 साल के थे तथा लंबे अरसे से इलाजरत थे। बेशक हमने एक बहुत ही महान नेता को खोया है ,जिनकी क्षति अपूर्णीय है। हर इंसान चाहे वो किसी पद पर हो या आम जिंदगी व्यतीत करने वाला ,अपनी अपनी तरह से सब ने सोशल मीडिया पर शोक प्रकट किया है। जिंदगी की कड़वी सच्चाई को हर इंसान जनता है पर ये भी सच है कुछ महान लोग अपने जाने के बाद किसी समाज को ही नहीं पूरे देश को शोकाकुल कर देते हैं पर वो छोड़ जाते हैं एक ऐसी मिशाल जिनके पदचिन्हों पर चलते हैं उस देश के लोग और ऐसे ही महान नेता थे प्रणब मुखर्जी ,जिन्होंने अपनी जिंदगी का एक बहुत बड़ा हिस्सा लोगों के लिए समर्पित कर दिया। 2012 से 2017 तक प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति पद पर कार्यरत रहे। राष्ट्रपति के चुनाव के पहले 2009 से 2012 तक वो हमारे देश के एक बहुत ही मजबूत तथा अर्थव्यवस्था को भली भांति समझने वाले वित मंत्री रहे। 2019 में इन्हें तात्कालिक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के द्वारा भारत रत्न से नवाजा गया। ये हमारे देश के तेरहवें राष्ट्रपति थे। प्रणब मुखर्जी ने राजनीति में अपना पहला कदम 1969 में रखा। इंदिरा गांधी ने प्रणब मुखर्जी को कांग्रेस पार्टी की ओर से राज्य सभा चुनाव में मदद की। उनकी मुख्य धारा राजनीति में प्रवेश 1982 में हुई जब वो भारत के वित मंत्री चुने गए। ये 1980 से 1985 के दौरान ही राज्य सभा में विपक्ष के नेता भी चुने गए। कुछ चीज़ों कि अगर गहन अध्यन ना की जाए तो शायद कभी पता भी नहीं चलती हैं। बहुत से लोगों को ये नहीं पता होगा की प्रणब मुखर्जी ने कांग्रेस को छोड़ राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस कि भी स्थापना की थी। ये बात 1984 की है जब इंदिरा गांधी की हत्या हुई थी। इंदिरा गांधी के बाद प्रणब मुखर्जी खुद को उनका उतराधिकारी मनाते थे ना की राजीव गांधी को और यही विवाद कि एक बहुत नदी वजह बन गई ,जिसके वजह से प्रणब मुखर्जी ने अपनी अलग पार्टी कि स्थपना तक कर दी। हां बात अलग है ये मतभेद ज्यादा वक़्त तक टीका नहीं और 1989 में राजीव गांधी के साथ हुए समझौते के बाद इनकी पार्टी फिर से कांग्रेस पार्टी में जा मिली। 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद पी वी नर्शिम्हा राव देश के प्रधान मंत्री बने और प्रणब मुखर्जी प्लैनिग कमीशन के हेड। 1995 में ये विदेश मंत्री बने। 2004 में प्रणब मुखर्जी ने पहली बार लोक सभा सीट पर जीत हासिल किया ,जब यू पी ए केंद्र में सत्ता में आया। मनमोहन सिंह के सरकार के दौरान प्रणब मुखर्जी ने महत्वपर्ण कैबिनेट पोर्टफोलियो को संभाला - जैसे: रक्षा (2004-06) ,विदेश मामले ( 2006 -09) ,वित (2009-12) तक। 2012 में प्रणब मुखर्जी ने पी ए संगमा को हराकर देश के तेरहवें राष्ट्रपति पद पर आसीन हुए। 2017 में प्रणब मुखर्जी ने अपनी स्वस्थ संबंधी कारणों कि वजह से राष्ट्रपति चुनाव लडने से साफ मना कर दिया। प्रणब मुखर्जी का जन्म मिराटी गांव के बंगाली परिवार में हुआ था ,जो उस वक़्त ब्रिटिश इंडिया के बंगाल प्रेसीडेंसी में पड़ता था। इन्हें भारत रत्न , पद्म विभूषण के अलावा ढेरों सम्मान से सम्मानित किया गया। वैसे तो इन्होंने बहुत सारी किताबें लिखी पर कुछ महत्वपर्ण किताबों का जिक्र मैं बेशक करना चाहूंगी - जैसे : बेयोंड सर्वाइवल :- इमर्जिंग डायमेंशन ऑफ इंडियन इकॉनमी ,ऑफ द ट्रैक , चैलेंजेस बिफोर द नेशनल ,कांग्रेस एंड द मेकिंग ऑफ थे इंडियन नेशनल आदि। इस तरह कुछ किताबें छोड़ गए लोगों को पढ़ने के लिए ,उनकी सोच को और समझने के लिए। ऐसे महान नेता को भावभीनी श्रद्धांजली अर्पित करते हैं।
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