
पांकी प्रखंड के बसडीहा स्थित सोनरे नदी तट पर भगवान भास्कर का भव्य मंदिर अब एक वास्तविकता बन चुका है। मंदिर के निर्माण कार्य को पूर्ण कर लिया गया है, और इस उपलक्ष्य में भगवान भास्कर की प्राण प्रतिष्ठा सह ज्ञान महायज्ञ कार्यक्रम की शुरुआत 2 मार्च, रविवार को बड़े धूमधाम से की गई। इस समारोह की शुरुआत कलश यात्रा के साथ हुई, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ भगवान भास्कर की मूर्ति को गाजे-बाजे के साथ नगर भ्रमण कराया।
धार्मिक अनुष्ठान का महत्व
यह भव्य आयोजन अयोध्या से आए विजय प्रपन्न जी महाराज, प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य अवध बिहारी मिश्रा और पंडित महावीर पांडे के सानिध्य में हुआ। भगवान भास्कर के प्राण प्रतिष्ठा और ज्ञान महायज्ञ कार्यक्रम ने न केवल श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित किया, बल्कि पांकी प्रखंड के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को भी नई दिशा दी।
मंदिर निर्माण में भगवान भास्कर की कृपा
यज्ञ समिति की श्रीमती लवली गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा, "यह मंदिर वर्षों से अधूरा पड़ा हुआ था, लेकिन भगवान भास्कर की कृपा से कुछ ही महीनों में मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हो गया है।" उन्होंने बताया कि मंदिर के निर्माण में करोड़ों की लागत आई है, और यह भव्य सूर्य मंदिर पांकी प्रखंड को एक नई पहचान दिलाएगा। श्रीमती गुप्ता ने यह भी कहा कि इस मंदिर की भव्यता और दिव्यता स्थानीय लोगों की आस्था को और बढ़ाएगी, साथ ही यह पांकी को पर्यटन के क्षेत्र में भी प्रसिद्ध करेगा।
मंदिर की भव्यता और आकर्षण
पांकी मेदीनीनगर मुख्य पथ पर स्थित यह मंदिर अब क्षेत्र का प्रमुख आकर्षण बन चुका है। यहाँ भगवान भास्कर का दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ आ रही है। साथ ही, मंदिर के आसपास का अद्भुत प्राकृतिक दृश्य भी लोगों को मंत्रमुग्ध कर रहा है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पांकी प्रखंड के विकास और पर्यटन में भी योगदान देगा।
यज्ञ समिति की सराहना
मंदिर समिति के अध्यक्ष राजेंद्र पांडे, यज्ञ समिति के अध्यक्ष बलराम पांडे, सचिव विद्यासागर पांडे और कोषाध्यक्ष अमित चौहान ने श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके सहयोग से मंदिर का निर्माण शीघ्र पूरा किया गया। उन्होंने जिलेवासियों से यज्ञ कार्यक्रम में शामिल होने की अपील करते हुए बताया कि 5 मार्च को अन्नाधिवास, पुष्पाधिवास और फलाधिवास कार्यक्रम होंगे, साथ ही नगर भ्रमण भी किया जाएगा। 6 मार्च को प्राण प्रतिष्ठा, देव पूजन और प्रसाद वितरण के साथ इस महायज्ञ का पूर्णाहुति होगी।
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