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02 Feb, 2025
नक्सलियों के गढ में पटरी पर आ रहा विकास
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पलामू जिले के हरिहरगंज प्रखंड स्थित सरसोत, जो कभी नक्सलियों के प्रभाव में था, अब विकास की ओर बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। बिहार की सीमा से सटे इस गांव में हाल के वर्षों में शांति का माहौल कायम हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप यहां विकास कार्य तेज़ी से हो रहे हैं। बटाने नदी पर पुल का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है, और गांव को जोड़ने वाली दो प्रमुख सड़कों का निर्माण भी प्रस्तावित है।

वर्षों तक नक्सल हिंसा का सामना करने वाले इस क्षेत्र में अब लोग एक भयमुक्त वातावरण का अनुभव कर रहे हैं। सरसोत का इलाका 1995 से 2000 के बीच नक्सलियों का गढ़ हुआ करता था, और उस समय यहां पर कई बड़ी नक्सली घटनाएं घटी थीं। इन घटनाओं में स्कूल भवनों को उड़ाए जाने और कई ग्रामीणों की हत्या की घटनाएं भी शामिल थीं। ऐसे में पुलिस प्रशासन ने यहां पथरा ओपी की स्थापना की, और तब से क्षेत्र में पुलिस की सक्रियता लगातार बनी हुई है।

आज भी, पथरा ओपी की टीम गांव में सुरक्षा बनाए रखने में निरंतर प्रयासरत है। सरसोत के स्थानीय निवासी गुड्डू सिंह, रंजीत कुमार, जितेन्द्र कुमार, संजय साव सहित अन्य लोगों का कहना है कि पिछले दस वर्षों में नक्सल गतिविधियों के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ा था, लेकिन अब पिछले पांच वर्षों से गांव में शांति का माहौल है।

इसके परिणामस्वरूप, हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा और विधानसभा चुनाव पूरी तरह से हिंसामुक्त रहे। इस बार मतदान प्रतिशत में भी वृद्धि हुई, जो इस क्षेत्र के विकास और सुरक्षा की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है। इस बार विधानसभा चुनाव में लगभग 70 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि पहले 40 प्रतिशत से अधिक मतदान मुश्किल से हो पाता था। लोकसभा चुनाव में भी 60 प्रतिशत मतदान हुआ और पंचायत चुनाव में यह आंकड़ा 80 प्रतिशत के आसपास रहा।

इस परिवर्तन का श्रेय पुलिस कप्तान रीष्मा रमेशन को दिया जा रहा है, जिन्होंने इस क्षेत्र में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की। सामाजिक कार्यकर्ता अभिषेक सिंह (मोनू) का कहना है कि रीष्मा रमेशन की सक्रियता और पथरा ओपी की मेहनत के कारण सरसोत में नक्सली घटनाओं में कमी आई है। इसके साथ ही, विकास कार्यों का भी सिलसिला शुरू हुआ है।

पुलिस कप्तान रीष्मा रमेशन ने खुद इस क्षेत्र में त्वरित और प्रभावी पुलिसिंग की ओर ध्यान केंद्रित किया, जिससे नक्सलियों का प्रभाव समाप्त हुआ और चुनावों में हिंसा की कोई घटना नहीं हुई। उनके प्रयासों से आज सरसोत और पूरे पलामू जिले में विकास और शांति की नई उम्मीद जागी है।

 

 



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