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25 Jan, 2025
पर्यावरण संरक्षण अभियान के तहत संतों को पौधारोपण व महाकुंभ यात्रा की प्रेरणा
admin Admin

छतरपुर ठाकुरबाड़ी प्रांगण में गुरुवार को पर्यावरण संरक्षण अभियान का एक अद्वितीय और प्रेरणादायक आयोजन संपन्न हुआ। इस अवसर पर विश्व व्यापी पर्यावरण संरक्षण अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, पर्यावरण धर्मगुरु और वनराखी मूवमेंट के प्रणेता डॉ. कौशल किशोर जायसवाल ने पर्यावरण धर्म के तहत भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को विशेष रूप से समर्पित किया।

 

कार्यक्रम में डॉ. जायसवाल ने उपस्थित संतों को हिमाचल का कपूर और थाईलैंड के बारहमासी आम के पौधे दान किए। उन्होंने संतों को पर्यावरण धर्म की प्रार्थना के साथ आठ मूल ज्ञान मंत्रों की शपथ दिलाई और उनकी मंगलमय यात्रा की कामना करते हुए प्रयागराज महाकुंभ स्नान के लिए विदा किया।

 

डॉ. जायसवाल ने 16 संतों को अंगवस्त्र और फूल-मालाओं से सम्मानित किया। उनके सुरक्षित यात्रा के लिए वाहनों की व्यवस्था की और आर्थिक सहयोग प्रदान किया, ताकि वे प्रयागराज महाकुंभ तक सकुशल पहुंच सकें। यह विदाई समारोह अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद के छतरपुर प्रखंड अध्यक्ष सुभाष चंद्र बोस के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया।

 

धर्मगुरु कौशल ने इस अवसर पर कहा, "महान वही होते हैं जिनकी आत्मा महान होती है। जो दूसरों की भलाई के लिए कार्य करते हैं, वे सच्चे महात्मा होते हैं, चाहे वे किसी भी वेशभूषा में हों।" उनके इस संदेश ने उपस्थित लोगों के हृदयों को प्रेरित किया।

 

 

महाकुंभ यात्रा के लिए विदा होने वाले संतों में बालयोगी संत विभु सुमनजी, ब्रह्मचारी (सूर्य मंदिर-छतरपुर), विश्वनाथ बाबा (शिव मंदिर-बैरियाडीह), सरयू बाबा (टूईं मंदिर-पिंडराही), शिवानंद जी (पाटन हरैया), रामजी बाबा (बैरियाडीह), गणेश जी (सूर्य मंदिर-करमाकला), हरिदास जी (चरांईं), कुम्मी (नावाबाजार), वैद्यनाथ भगत (छतरपुर), विनोद सिंह (पिंडराही), शशगया सिंह, प्रभा देवी, सोना कुंवर (रूद), सीताराम (बरडीहा), द्वारिका सिंह (भंडारगढ़ा) और चंदवा बरनी देवी प्रमुख थे।

 

 

इस विशेष अवसर पर चरांई के बबन ठाकुर और पंचायत डाली बाजार के पूर्व उप मुखिया अफजाल अंसारी भी उपस्थित रहे। उन्होंने इस आयोजन की सराहना की और इसे समाज के लिए एक प्रेरणादायक कदम बताया।

 

यह कार्यक्रम न केवल पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रयास था, बल्कि इसे धर्म और आध्यात्मिकता के साथ जोड़कर एक नई दिशा देने का प्रयास भी था। डॉ. कौशल किशोर जायसवाल की यह पहल आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायक साबित होगी।



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