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24 Dec, 2024
स्थानीय दबंगों के आतंक से लाखों का राजस्व नुकसान, हरिहरगंज नगर पंचायत में टेंडर प्रक्रिया पर सवाल
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छतरपुर से राजू सिंह 

 

हरिहरगंज नगर पंचायत में विकास कार्यों के लिए जारी 16 टेंडरों की प्रक्रिया विवादों में घिर गई है। स्थानीय दबंगों द्वारा पूरी प्रक्रिया को हाइजैक करने का आरोप लगा है। दर्जनों संवेदकों ने लाखों रुपये का ड्राफ्ट बनवाकर टेंडर में भाग लेने की तैयारी की थी, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी।

 

संवेदकों का आरोप है कि टेंडर प्रक्रिया के दौरान दबंगों ने पूरी तरह से कब्जा कर रखा था। नियम के अनुसार, दर्जनों संवेदकों को टेंडर फॉर्म बेचे जाने थे, लेकिन प्रत्येक कार्य के लिए मात्र दो ही फॉर्म बिके। यह स्पष्ट रूप से संकेत करता है कि टेंडर प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितता हुई।

 

लाखों के राजस्व का नुकसान

स्थानीय दबंगों और नगर पंचायत के अधिकारियों की मिलीभगत के कारण लाखों रुपये का राजस्व नुकसान हुआ है। संवेदकों ने आरोप लगाया कि पहले से ही सभी टेंडर दबंगों के बीच बांट दिए गए थे। नगर पंचायत कार्यालय में खड़े दर्जनों संवेदकों को टेंडर फॉर्म लेने से रोक दिया गया।

 

प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

घटना के दौरान स्थानीय प्रशासन मौके पर देर से पहुंचा, लेकिन पूरे मामले को देखकर मूकदर्शक बना रहा। छतरपुर डीएसपी को भी इस मामले की जानकारी थी, फिर भी दबंगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।

 

कार्यपालक पदाधिकारी ने झाड़ा पल्ला

हरिहरगंज नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी फैजूर रहमान ने किसी भी अनियमितता की जानकारी से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि जो संवेदक कार्यालय के अंदर आए, उन्हें टेंडर पेपर दिए गए। बाहर खड़े संवेदकों को पेपर नहीं मिल पाने के सवाल पर उन्होंने कोई ठोस जवाब नहीं दिया।

 

सीसीटीवी फुटेज का क्या होगा?

नगर पंचायत कार्यालय में लगे सीसीटीवी कैमरे पूरे मामले की सच्चाई उजागर कर सकते हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या सीसीटीवी फुटेज की जांच होगी या इसे भी दबंगों के प्रभाव में दबा दिया जाएगा?

 

संवेदकों में आक्रोश

घटना से आहत संवेदकों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि अगर इस मामले में सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो भविष्य में भी ऐसे दबंग नगर पंचायत की टेंडर प्रक्रिया को हाइजैक करते रहेंगे।

 

जांच की मांग

संवेदकों और स्थानीय लोगों ने इस घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। अगर दोषियों के खिलाफ समय पर कार्रवाई नहीं हुई, तो इससे सरकार के राजस्व और पारदर्शिता पर गहरा सवाल खड़ा होगा।



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