
कल जो देता था शाल गैरों को
आज मोहताज है वो चादर का
मेदिनीनगर : मौलाना मोहम्मद अयूब शमीम नदवी शहसरामी पलामू जिला के गिरवर उच्च विद्यालय में पहले मौलवी के रूप में नियुक्त हुए थे। उनका ताल्लुक वर्तमान सासाराम से था। उनकी पढ़ाई लिखाई कोलकाता में हुई थी। परंतु डालटेनगंज आने के बाद यही के होकर रह गए। शमीम नदवी साहब सूफी परंपरा के वाहक थे। उक्त बातें प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा आयोजित शमीम नदवी की पुस्तक " चांद उतरता है " के विमोचन कार्यक्रम के दौरान डॉक्टर मकबूल मंजर ने कही।
प्रगतिशील लेखक संघ पलामू के द्वारा मेदिनीनगर के शाह मोहल्ला में स्थित रॉयल मैरिज हॉल में मौलाना मोहम्मद अयूब शमीम नदवी शहसरामी की पुस्तक " चांद उतरता है " का विमोचन गया और सासाराम से पधारे मे
अतिथि शायर नदीम जाफरी एवं अख्तर इमाम अंजुम, जीडी कॉलेज बेगूसराय के उर्दू के विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर सहर अफरोज, इप्टा पलामू के अध्यक्ष प्रेम भसीन, डॉक्टर अशरफ जमाल अश्क, अमीन रहबर, एमजे अजहर, डॉ मकबूल मंजर, डॉक्टर इंतखाब असर, असगर इमाम असगर एवं प्रगतिशील लेखक संघ के सचिव नुदरत नवाज ने संयुक्त रूप से विमोचन किया। इस दौरान गोविंद प्रसाद एवं अच्छे लाल प्रजापति ने अतिथि शायरों को मोमेंटो एवं शॉल प्रदान कर सम्मानित किया। इस मौके पर नुदरत नवाज ने पुस्तक निर्माण की प्रक्रिया की चर्चा करते हुए अरशद कमर के प्रति आभार व्यक्त किया।
पुस्तक विमोचन के बाद प्रोफेसर सहर अफरोज ने नुदरत नवाज को साहित्यिक विरासत को संग्रहित कर संजोने के लिए अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया। विमोचन कार्यक्रम के प्रारंभ में पलामू इप्टा के कलाकारों ने अजमल सुल्तानपुरी की रचना "मुसलमा और हिंदू की जान" और शैलेंद्र की रचना "सोने वाले जाट समय अंगडाता है" गाया। इप्टा के कलाकारों में धीरेंद्र कुमार, शशि पांडे, संजीव कुमार संजू, घनश्याम कुमार, प्रेम प्रकाश एवं रवि शंकर शामिल थे।संचालन अरशद कमर ने किया।
विमोचन कार्यक्रम के बाद मुशायरा का हुआ आयोजन
" चांद उतरता है " पुस्तक विमोचन के बाद नदीम जाफरी की सदारत में मुशायरा कार्यक्रम की शुरुआत हुई। प्रारंभ में अदनान कासिफ, नसीम रियाज, एवं इस्तेखार ने शमीम नदवी साहब, नदीम बल्खी एवं डॉक्टर शोएब रही की रचना तरन्नुम में प्रस्तुत किया। इस कार्यक्रम में स्थानीय शायरों ने अपनी अपनी रचना प्रस्तुत किया। रचना प्रस्तुत करने वालों में किरण राज, शमीम जोहार, डॉक्टर इंतखाब असर, डॉ मकबूल मंजर, एमजे अजहर, अमीन रहबर, कयूम रूमानी, अशरफ जमाल अश्क, अलाउद्दीन चिराग, मनीष मिश्रा, प्रेम प्रकाश शामिल थे। अतिथि शायर नदीम जाफरी ने अपनी रचना के माध्यम से कहा कि-
क्या कहूं हाल अपने दिलबर का
दिल जो रखता है वो भी पत्थर का
कल जो देता था शाल गैरों को
आज मोहताज है वो चादर का
वहीं अख्तर ईमाम अंजुम ने कहा कि-
कौम व मिल्लत के लिए हम दें अगर तो जान दें
जिंदगी को आएं मिलकर एक नया उनवान दें
भीड़ में नफरत की खोकर रह गए हैं हम सभी
कुछ भी है इंसानियत हम में तो कुछ पहचान दें
मुशायरा का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन अरशद कमर ने किया। मौके पर शैलेंद्र कुमार शर्मा, कुलदीप राम, घनश्याम कुमार, रियाज अहमद, नसीम अहमद, मिस्टर, एवं गुड्डू सहित काफी लोग उपस्थित थे।
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